(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल कैश फॉर स्कूल जॉब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से बड़ा सवाल उठाते हुए पूछा कि आरोपी को बिना ट्रायल के लंबे समय तक हिरासत में कब तक रखा जा सकता है? वह दो साल चार महीने से जेल में बंद हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी केसों में सजा की दर 60-70 फीसदी होती तो समझ में आता है लेकिन सजा की दर बहुत कम है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई और ईडी से केस का ब्योरा भी मांगा है.
अब इस मामले में अगली सुनवाई दो दिसंबर को की जाएगी और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट जमानत पर अपना आदेश जारी करेगी. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ चटर्जी द्वारा पश्चिम बंगाल में सहायक प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में रिश्वतखोरी के आरोपों पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है. सुनवाई के दौरान चटर्जी की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, याचिकाकर्ता जमानत चाहता है और उसे 23 जुलाई 2022 को गिरफ्तार किया गया था. मामले में अभी तक ट्रायल शुरू नहीं हुआ है. इस केस में 183 गवाह हैं और 4 पूरक अभियोजन शिकायतें हैं. उनकी उम्र 73 साल है.
वकील ने कहा, वह एक मंत्री थे जिस पर नकदी के लिए नौकरी के मामले में आरोप लगाया गया था. PMLA के तहत कारावास की अवधि 7 साल हो सकती है और उन्होंने 2.5 साल जेल में बिताए हैं. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, हम उनको कितने समय तक सलाखों के पीछे रख सकते हैं. यह ऐसा मामला है जिसमें करीब 2 साल 4 महीने बीत चुके हैं और सुनवाई शुरू होने में भी समय लगता है. हम जानते हैं कि यह आपके लिए एक बहुत बड़ा और मैराथन काम है. हम इस तथ्य को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते कि आरोप बहुत गंभीर हैं और मंत्री कैश ले रहे हैं.
जस्टिस भुइयां ने कहा, अगर अंतिम विश्लेषण में उनको दोषी नहीं ठहराया जाता है तो क्या होगा. बीते 3 सालों का क्या होगा. आपकी सजा दर क्या है? अगर यह 60-70% है, तो हम समझ सकते हैं लेकिन यह बहुत खराब है. ED की ओर से ASG ने जवाब दिया कि मामले को केस-टू-केस आधार पर देखा जाना चाहिए. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. सुनवाई के दौरान पार्थ चटर्जी की ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि वो पिछले दो साल दो महीने से जेल में हैं. अब उन्हें जमानत मिलनी चाहिए. अप्रैल में कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री पार्थ चटर्जी को जमानत देने से मना कर दिया था.