इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने पत्रकारों से कहा, ” मैं क्रिकेट के खेल को नहीं समझती, लेकिन अगर आप मुझे खेलने देंगे तो मैं खेलूंगी.” अगर कोई सक्षम और योग्य है, तो उसे मौका मिल सकता है, भले ही वे “राजनीतिक आदमी” हों. ये बात उन्होंने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के भाई की ओर इशारा करते हुए कहा, जिन्हें परिषद में एक पद मिला है.
उन्होंने कहा , “अदालत ने सौरव और जय शाह के लिए तीन कार्यकालों की अनुमति दी थी. ऐसे में जब उन्हें कार्यकाल की अनुमति दी गई है और वो इसके हकदार हैं, तो सौरव को क्यों वंचित किया गया है? इस फैसले से न केवल खेल प्रेमी हैरान हैं बल्कि यह दुनिया के लिए शर्म की बात है.”
ममता ने कहा, “आपने देखा है कि मैंने खुलेआम अनुरोध किया था. अगर उन्होंने उन्हें (सौरभ) भेजा होता, तो देश को गर्व होता. जगमोहन डालमिया भी थे. तो आज, किस कारण से, किस अज्ञात कारण से, सौरव जैसे व्यक्ति को वंचित किया गया है और किसी और के लिए आरक्षित पद छोड़ दिया है.”
सीएम ने कहा, “क्योंकि सौरव एक सज्जन व्यक्ति हैं, वह कुछ नहीं कह रहे हैं. उन्हें बुरा लगा होगा, लेकिन उन्होंने उस दर्द को किसी के साथ साझा नहीं किया है. लेकिन हम इसे हल्के में नहीं ले रहे हैं. हम हैरान हैं. यह बेशर्म राजनीतिक प्रतिशोध है.” यह पूछे जाने पर कि क्या जय शाह को आईसीसी में भेजने का इरादा है, बनर्जी ने कहा, “मैं नाम नहीं लूंगी.”
ममता बनर्जी ने कहा कि वो खुद केंद्रीय खेल मंत्री रही हैं और उन्होंने हमेशा इस बारे में बात की थी कि कैसे राजनीति को खेलों के साथ नहीं मिलाया जाना चाहिए. हालांकि, ममता के बयान पर पश्चिम बंगाल बीजेपी के पूर्व प्रमुख दिलीप घोष ने तंज कसा है.
“जब वाम मोर्चा सरकार ने सौरव गांगुली को साल्ट लेक में एक स्कूल बनाने के लिए जमीन आवंटित की, तो कौन उस स्कूल को बंद करना चाहता था? गांगुली को कोई जमीन नहीं दी जानी चाहिए, जैसा कि उन्होंने सिंगूर में धरना देकर कहा था. उन्होंने वह जमीन वापस ले ली है. आज वह सौरव को याद कर रही है क्योंकि वो खुद मुश्किल में है.”
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