21 साल से एलएलएम नहीं,कैसे बनेंगे कानून के विशेषज्ञ

कोटा। हाड़ौती के राजकीय विधि महाविद्यालय बरसों से सरकारी तंत्र की लापरवाही का दंश झेल रहे हैं। जिसका खामियाजा सैंकड़ों विद्यार्थी भुगत रहे हैं। संभाग में तीन गवर्नमेंट लॉ कॉलेज हैं, जो पिछले 21 साल से एलएलएम को तरस रहे हैं। हालात यह हैं, सभी कॉलेज यूजी हैं लेकिन पीजी एक में भी नहीं है। जिसकी वजह से भावी वकील कानूनी शिक्षा में स्पेशलाइजेशन नहीं कर पा रहे। वहीं, पीजी के अभाव में रिसर्च सेंटर तक नहीं खुल पाए। ऐसे परिवेश में क्वालिटी एजुकेशन तो छोड़िए कानून की बारीकियां तक सीखने को नहीं मिलती। निजी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में 80 हजार से 1 लाख रुपए फीस होने से हर साल हजारों विद्यार्थी पोस्ट ग्रेज्युएशन करने से वंचित रह जाते हैं। 

हाड़ौती के एक भी कॉलेज में नहीं एलएलएम
हाड़ौती में झालावाड़, बूंदी व कोटा में राजकीय विधि महाविद्यालय संचालित हैं। इनमें से एक भी कॉलेज में पीजी संकाय नहीं है। ऐसे में हर साल सैंकड़ों विद्यार्थी एलएलबी (ग्रेज्युएशन) करके निकलते हैं, जो एलएलएम नहीं होने से कानूनी शिक्षा में स्पेशलाइजेशन (पीजी) नहीं कर पा रहे। जबकि, संभाग का सबसे बड़ा कॉलेज होने के बावजूद कोटा 21 साल से पीजी संकाय खुलवाने को संघर्ष कर रहा है। लेकिन, किसी भी मंच से सहयोग नहीं मिल रहा। सरकारी तंत्र की उपेक्षा से विद्यार्थी न तो आपराधिक और सुरक्षा, बौद्धिक सम्पदा, अंतरराष्टÑीय मानवाधिकार, सार्वजनिक नीति और सुशासन जैसे कानून के विशेषज्ञ बन पा रहे और न ही स्किल डवलप हो पा रही। 

पीजी खुले तो शुरू हो रिसर्च सेंटर 
छात्रों ने बताया कि कोटा विधि महाविद्यालय में पीजी के अभाव में रिसर्च सेंटर तक नहीं खुल पा रहा। एलएलएम खुले तो कॅरियर को और आगे ले जाने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्राप्त हो सकेगा। अनुसंधान केंद्र बनने से विधि के हर विषय पर रिसर्च हो सकेगी। कॉलेज को यूजीसी से वित्तिय सहायता मिल सकेगी। लॉ विद्यार्थी अपने अपने क्षेत्रों में कानून के विशेषज्ञता हासिल कर सकेंगे। 

कोटा में 2005 से ही नहीं पीजी
कोटा में राजकीय विधि महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 2005 में हुई थी, जो वर्ष 2016 तक गवर्नमेंट कॉलेज में अस्थाई कॉलेज के रूप में संचालित रहा। इसके बाद फरवरी 2017 में रावतभाटा रोड स्थित टैगोर नगर में खुद की बिल्डिंग में शिफ्ट हुआ। इसके बाद से लगातार पीजी संकाय शुरू करने  को लेकर प्रयास होते रहे लेकिन, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया गया। नतीजन, 21 साल बाद भी विद्यार्थी एलएलएम को तरस रहे। 

विद्यार्थी बोले-एलएलएम से मिलता अंतरराष्ट्रीय, कॉर्पोरेट, मानवाधिकार व श्रम कानून में स्पेशलाइजेशन का मौका
 वर्तमान में कोटा लॉ कॉलेज एलएलम शुरू करने के लिए सभी मानको पर खरा उतरता है। फिर भी एलएलएम शुरू नहीं हो रहा। जबकि, कॉलेज प्रशासन ने राज्य सरकार को इसके प्रस्ताव भी भेजे हैं। सरकारी में पीजी संकाय नहीं होने से प्राइवेट कॉलेजों में महंगी फीस के कारण हर साल हजारों विद्यार्थी स्पेशनलाइजेशन से वंचित रह जाते हैं। जबकि, एलएलएम शुरू हो तो मल्टीनेशनल कंपनियों, अंतरराष्टÑीय संस्थाओं या विदेशों से जुड़े मामलों से संबंधित विषय पर काम करने वाले कानूनी पेशावर वकील तैयार हो सकेंगे। 
-बुद्धराज मेरोठा, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष, 

विधि महाविद्यालय कोटा
पोस्ट ग्रेज्युएशन डिग्री लॉ स्टूडेंट लिए बेहतर कॅरियर की शुरूआत बन सकती है। क्योंकि, एलएलएम अंतरराष्ट्रीय कानून, कॉपोरेट कानून, श्रम कानून, मानवाधिकार कानून में स्पेशलाइजेशन प्रदान करती है।  छात्रहित में सरकार को जल्द से जल्द एलएलएम खोलना चाहिए।  
-लिपाशा वैष्णव, छात्रा गवर्नमेंट कॉलेज कॉलेज 

पोस्ट ग्रेज्युएशन की सुविधा मिलने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। साथ ही समाज को कानून विशेषज्ञ मिल सकेंगे।  यदि, विधि महाविद्यालय में पीजी संकाय शुरू होता है तो इसका लाभ पूरे हाड़ोती संभाग के छात्र-छात्राओं को मिलेगा। साथ ही कानून के किसी एक विषय के विशेषज्ञ बन सकेंगे, जो समाज की आवश्यकताओं के लिए जरूरी है। 
-हरिओम सिंह, वरिष्ठ छात्र,राजकीय विधि महाविद्यालय कोटा 

मैं कोटा यूनिवर्सिटी से एलएलएम कर रही हूं। दो साल की डिग्री की अकेडमिक फीस ही 48 हजार रुपए है। इसके अलावा प्रत्येक सेमेस्टर एग्जाम फीस 2500 रुपए है। ऐसे में 4 सेमेस्टर के 10 हजार रुपए अतिरिक्त लगते हैं। वहीं, बीच-बीच में अलग-अलग चार्ज भी लगता है। ट्रांसपोर्ट सहित अन्य खर्चों को मिलाकर एलएलएम  करीब 65 से 70 हजार में पूरी होती है। यदि, यही पीजी संकाय गवर्नमेंट विधि कॉलेज में शुरू हो तो 30 से 35 हजार रुपए में ही डिग्री हो सकती है।  सरकार को छात्रहित में एलएलएम शुरू करना चाहिए। 
-निकिता वर्मा, छात्रा एलएलएम कोटा यूनिवर्सिटी

सरकार को प्रस्ताव भेजे हैं
एलएलएम को लेकर प्रस्ताव स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को भेज चुके हैं। वहां से पीजी संकाय शुरू होने के सकारात्मक संकेत मिले हैं। वहीं, कॉलेज स्टाफ, वर्तमान व निर्वमान विद्यार्थियों के साथ लोकसभा अध्यक्ष से भेंट कर गवर्नमेंट विधि महाविद्यालय कोटा में एलएलएम शुरू करवाने का आग्रह करेंगे। हमारे पास पीजी के लिए योग्य फैकल्टी भी है। एलएलएम शुरू होगा तो रिसर्च सेंटर भी प्रारंभ हो सकेगा। जिसका हाड़ौती के विद्यार्थियों को फायदा होगा।  
-प्रो. आरके उपाध्याय, प्राचार्य, राजकीय विधि महाविद्यालय कोटा

स्नातक के बाद  छोड़नी पड़ती हैं पढ़ाई  
 छोटे एवं मध्यमवर्गीय शहरों के राजकीय महाविद्यालयों में विधि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम न होने से हजारों विद्यार्थियों को स्नातक के बाद पढ़ाई छाड़नी पड़ती है, जो विद्यार्थी शोध, अकादमिक क्षेत्र या न्यायिक सेवा में जाना चाहते हैं, उन्हें उच्च शिक्षा के अवसर नहीं मिल पाते। विधि के नए विषय, संवैधानिक प्रश्न, साइबर लॉ, पर्यावरण कानून जैसे विषयों पर गहन अध्ययन का अवसर नहीं मिल पाता। एल.एल.एम. उपाधिधारक विद्यार्थी किसी विशेष विधिक क्षेत्र जैसे आपराधिक कानून, दीवानी कानून, संवैधानिक, व्यापारिक कानून में विशेषज्ञता प्राप्त कर स्थानीय स्तर पर बेहतर सेवाएं दे सकते हैं। राजकीय महाविद्यालयों में विधि में मास्टर डिग्री होने पर विद्यार्थियों को शिक्षक बनने, पीएच.डी. करने और न्यायिक सेवाओं में प्रवेश के नए अवसर मिलते हैं। निजी महाविद्यालयों या महानगरों की यूनिवर्सिटीज से एलएलएम की महंगी पढ़ाई करना हर किसी के लिए संभव नहीं हो पाता। सरकारी विधि कॉलेजों में एलएल.एम. शुरू होना महत्ती आवश्यकता है।  
 -विवेक नन्दवाना, वरिष्ठ एडवोकेट

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