97 लाख की चमक फीकी, जहरीले सांप और बीमारियों के शिकंजे में फंसी खिलाड़ियों की जान

कोटा। हाड़ौती का एकमात्र फुटबॉल छात्रावास उपेक्षा का शिकार हो रहा है। नयापुरा वोकेशनल स्कूल में फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए बना हॉस्टल का मेंटिनेंस कार्य 2 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका। जिसकी वजह से प्रदेशभर से कोटा पहुंचे 20 चयनित खिलाड़ियों को जर्जर कमरों में शरण लेनी पड़ रही है। जिसकी छतें टपक रही हैं और दीवारों से उठती सीलन की बदबू से खिलाड़ियों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है। वहीं, इन कमरों के पीछे झाड़-झंकाड़ उगे हुए हैं। जिनमें जहरील जीव-जंतुओं के छिपे रहने से जान का खतरा बना रहता है। केडीए की लापरवाही से खिलाड़ियों को हर दिन मुसीबतों से दो-चार होना पड़ रहा है। 

यह है मामला
फुटबॉल छात्रावास के मेंटिनेंस के लिए केडीए (पूर्व यूआईटी)द्वारा 97 लाख रुपए बजट स्वीकृत किया था। जिससे हॉस्टल के कुल 11 कमरों में दीवार व छतों का प्लास्टर व दो सुविधाघरों का पुन:निर्माण करवाना था। जिसका निर्माण कार्य फरवरी 2023 को शुरू हुआ और इसी वर्ष नवम्बर में पूरा करना था। लेकिन, ठेकेदार ने 20 माह बाद भी काम पूरा नहीं किया। हालांकि, अधिकतर कार्य पूरे हो चुके हैं लेकिन कमरों  में पहले से लगी लाइट फिटिंग व पंखे मरम्मत कार्य के दौरान क्षतिग्रस्त कर दिए। जिसे लगाने से ठेकेदार ने इंकार कर दिया। जिसकी वजह से सभी कमरों में अंधेरा पसरा है। वहीं, अभी तक केडीए ने हॉस्टल शिक्षा विभाग को हैंडआॅवर तक नहीं किया। जिसकी वजह से प्रदेशभर से कोटा आए फुटबॉल खिलाड़ियों को जर्जर भवनों में रहना पड़ रहा है।

हॉस्टल पर लटके पड़े ताले 
फुटबॉल कोच प्रवीण विजय ने बताया कि ठेकेदार ने निर्धारित टाइम लाइन तक कार्य पूरा नहीं किया है। ठेकेदार सभी कमरों पर ताले लगाकर लंबे समय से गायब है। जबकि, केडीए के ठेकेदार को मेंटिनेंस कार्य नवम्बर 2023 तक पूरा करना था। अभी तक न काम पूरा किया और न ही हैंडओवर किया।  यहां हॉस्टल के लिए 20 छात्रों का हर साल चयन होता है। ये खिलाड़ी सालभर यहां रहकर सुबह-शाम अभ्यास करते हैं और स्कूलों में जाकर पढ़ाई करते हैं। जुलाई माह में खिलाड़ियों का ट्रायल पूरा हो चुका है। चयनित सभी खिलाड़ी एक अगस्त को हॉस्टल में आ गए लेकिन नए कमरों पर ताले लटके हुए हैं और चाबी ठेकेदार लेकर गायब है। ऐसे में खिलाड़ियों को ठहराने में बड़ी मुशिकल हुई।  

कमरों में सीलन पीछे जंगल
कोचि विजय का कहना है कि हॉस्टल के नए कमरें हैंडओवर नहीं किए जाने से खिलाड़ियों को मजबूरी में परिसर में बने पुराने जर्जर दो कमरों में ठहराना पड़ा। यह कमरे पूरी तरह से जर्जर हो रहे हैं। जगह-जगह से प्लास्टर उखड़े पड़े हैं। दीवारों  में सीलन व गड्ढ़े हो रहे हैं। सीलन की दुगंध से बच्चे परेशान हैं। कमरों के पीछे जंगल हो रहा है। जिनमें जहरीले जीव-जंतुओं की उपस्थिति होने से हादसे का खतरा बना रहता है।

क्या कहते हैं नेशनल खिलाड़ी 
वोकेशनल स्कूल फुटबॉल हॉस्टल की स्थिति चिंताजनक है। इस हॉस्टल से कोटा सहित प्रदेशभर के कई राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी निकले हैं। इस तरह की व्यवस्था में खिलाड़ी कैसे रहेगा, यह सोचने का विषय है। जब तक खिलाड़ी को प्रॉपर रेस्ट, डाइट व अच्छा खेलने का ग्राउंड नहीं मिलेगा तब तक हम खिलाड़ी से अच्छी परफॉर्मेंस की आशा नहीं कर सकते। जिला प्रशासन से आग्रह है कि खिलाड़ियों के भविष्य के मध्यनजर असुविधाओं को दुरुस्त किया जाए।
– डॉ. तीरथ सांगा, सचिव जिला फुटबाल संघ कोटा  

फुटबॉल हॉस्टल के हालात देखकर दुख होता है मैं भी फुटबॉल हॉस्टल टीम का हिस्सा रहा हूं इसी हॉस्टल के कारण स्कूल नेशनल तक खेला हूं. आवश्यक सुविधाएं तुरंत उपलब्ध होनी चाहिए।
– आफताब अहमद, पूर्व राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी

वोकेशनल फुटबॉल हॉस्टल हमेशा प्रशासन के उदासीनता का शिकार रहा है मैंने ही मैं भी इसी फुटबॉल हॉस्टल से स्कूल नेशनल खेला है इसी  खेल की बदौलत राजस्थान की तरफ से दो बार सीनियर नेशनल खेला है. खिलाड़ियों को अच्छी सुविधा मिलनी चाहिए।
– धर्मप्रकाश शर्मा, पूर्व राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी 

यह बोले जिम्मेदार
अभी मैं छुट्टी पर हूं, कल सुबह स्कूल आकर इस संबंध में बात की जा सकती है।   
– सपना चतुर्वेदी, प्राचार्य राजकीय वोकेशनल स्कूल 

खिलाड़ियों को इस तरह से जर्जर सीलनभरे कमरों में ठहराया जाना उचित नहीं है। प्रदेशभर से कोटा आए बच्चे हमारे खिलाड़ी हैं। यह सुरक्षित रहें, खेल प्रतिभाएं निखरें इसलिए बेहतर जगह उपलब्ध करवाना बेहद जरूरी है। इसके लिए संस्था प्रधान व जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक से बात कर उचित व्यवस्था करवाते हैं।  
– तेज कंवर, संयुक्त निदेशक, शिक्षा विभाग कोटा संभाग

बच्चों को किसी भी तरह की परेशानी न हो इसके लिए हॉस्टल में जो नए कमरें तैयार हुए हैं उनमें वैकल्पिक रूप से लाइट व पंखे लगवाकर बच्चों को तुरंत शिफ्ट करवाने के निर्देश दे दिए हैं। वहीं, भारी बरसात के कारण नए कमरों में सीलन आने का जो इश्यू आया है, उसकी हमारे सहायक अभियंता से जांच करवा लेंगे। यदि, कोई तकनीकी कमी होगी तो उससे केडीए को अवगत करवाकर दुरुस्त करवा लिया जाएगा। 
– केके शर्मा, जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक

आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है। यदि, ऐसा हो रहा है तो गलत है। बच्चों को सुरक्षित व व्यवस्थित माहौल उपलब्ध करवाना शिक्षा विभाग का दायित्व है। मामले की जानकारी करवा रहे हैं, इसमें चाहे केडीए हो या शिक्षा विभाग, जिसकी भी लापरवाही होगी उसके खिलाफ नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। 
– सतीश गुप्ता, विशेषाधिकारी शिक्षा मंत्री 

एक्सपर्ट व्यू – सीलन से अस्थमा अटैक तक का खतरा 
सीलन में फंगस के बारीक कण होते हैं। जो श्वास के साथ शरीर में जाकर सांस की नली में सूजन पैदा कर देता है। जिससे नली सिकुड़ जाती है। इससे अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन, यह समस्या एलर्जिक लोगों को होती है। सीलन से सांस फूलना, दम घुटना, खांसी चलना आदि समस्याएं हो जाती है। जब इसकी तीव्रता बढ़ जाती है तो एबीपीए नामक बीमारी का खतरा और बढ़ जाता है। इससे फेफड़े भी डेमेज हो सकते हैं। हालांकि, यह बीमारी अस्थमा के गंभीर रोगियों को होती है।  
– डॉ. विनोद जांगिड, श्वांस रोग विशेषज्ञ, मेडिकल कॉलेज

आपके द्वारा ही मामले की जानकारी लगी है। ठेकेदार को जल्द काम पूरा करने को पाबंद किया जाएगा। वहीं, हमारे इंजीनियर को भेज कार्य की गुणवत्ता को परखेंगे। यदि, कार्य में लापरवाही मिली तो ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।  शिक्षा विभाग या स्कूल से कोई भी आकर समस्याएं बताएं, तुरंत समाधान करवाएंगे। 
– कुशल कोठारी, सचिव केडीए

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