Happy Teachers Day: जानिए देश के उन महान शिक्षकों के बारे में जिनके ज्ञान को दुनिया करती है सलाम 


नई दिल्ली:

Teacher’s Day 2023: टीचिंग यानी शिक्षण सबसे महान प्रोफेशन्स में से एक है. यह एक ऐसा पेशा है जिसमें एक गुरु अपने शिष्यों को ज्ञान प्रदान करता है. गुरु बच्चे को विभिन्न विषयों का ज्ञान ही नहीं देते बल्कि उसकी ताकत और कमजोरियों को पहचानने में भी मदद करता है, जिससे उसे एक बेहतर इंसान बनने में मदद मिलती है. अपने देश में कई महान गुरु हुए हैं जिनके योगदान, प्रतिभा और कौशल को विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया है. आज हम आपको भारत के उन शिक्षकों की जानकारी देंगे, जिनके ज्ञान का लौहा दुनिया ने माना है. इन गुरुओं ने दुनियाभर में अपना परचम लहराया है. 

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan)

आज पूरा देश टीचर्स डे मना रहा है. हर साल यह दिन 5 सितंबर को मनाया जाता है. यह दिन भारत देश के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में मनाया जाता है. वे प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे. उन्हें देश के प्रतिष्ठित पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.

सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule)

भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवियत्री थीं. उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए. सावित्रीबाई फुले को आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत कहा जाता है. उन्होंने साल 1848 में बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की थी. यह स्कूल विशेष रूप से अछूत जाति की लड़कियों के लिए था.

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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam)

डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम जिन्हें ‘मिसाइल मैन’ के नाम से भी जाना जाता है. वह एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे. उन्होंने हमेशा शिक्षा की वकालत की, उनका दृढ़ विश्वास था कि शिक्षा केवल शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करने के इर्द-गिर्द नहीं घूमनी चाहिए बल्कि इसमें व्यक्तिगत कौशल और क्षमताओं की वृद्धि भी शामिल होनी चाहिए, ताकि युवाओं को करियर के साथ जीवन को भी एक आकार मिले. 

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चाणक्य (Chanakya)

दुनिया में शायद ही चाणक्य जैसा कोई गुरु होगा, जिन्होंने एक छोटे से बालक में भावी राजा को देखा. चाणक्य की गिनती भारत के सबसे पहले प्रसिद्ध विद्वान में होती है. उनकी शैक्षणिक यात्रा तक्षशिला विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में शुरू हुई, जो उस क्षेत्र में स्थित है जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है. इसके बाद, उन्होंने उसी प्रतिष्ठित संस्थान में एक शिक्षक के रूप में ज्ञान प्रदान करना जारी रखा. चाणक्य को कौटिल्य नाम से भी जाना चाहता है.

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स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda)

स्वामी विवेकानंद ने ‘रामकृष्ण मिशन’ की स्थापना की. वे एक दूरदर्शी नेता थे. स्वामी विवेकानन्द वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे. उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था. स्वामी विवेकानंद का मूल मंत्र- ‘उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए’ है.

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हर साल 5 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का उद्देश्य देश में शिक्षकों के अद्वितीय योगदान को सम्मानित करना है. वर्तमान में आज भी कई ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने अपनी अलग पहचान बना ली है. ये बच्चों को अनोखे अंदाज में पढ़ाते हैं. आइए, आज कुछ चुनिंदा शिक्षकों के बारे में जानते हैं, जो सोशल मीडिया पर वायरल हैं.

खान सर

बिहार की राजधानी पटना में खान सर छात्रों को पढ़ाते हैं. अपनी यूनिक व देसी स्टाइल से बच्चों को पढ़ातें हैं. देश और दुनिया में खान सर का बहुत ही ज्यादा नाम है. खान सर, सिविल सर्विसेस और जेनरल कॉम्पीटिशन की तैयारी करवाते हैं. खान सर बिहार राज्य के पटना शहर के Education Youtuber हैं, और उसकी प्रेजेंटेशन स्किल लाजवाब है, वो जब समझाते हैं तो आपको पूरा समझ में आ जाता है. 

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अलख पांडेय

अलख पांडेय एक ऐसे नाम हैं, जिन्होंने भारत में शिक्षा जगत में क्रांति लायी है. वह ‘फिजिक्सवाला’ के संस्थापक और सीईओ हैं. हजारों की संख्या में आईआईटी और NEET की तैयारी करने वाले छात्र उनके साथ जुड़े हुए हैं.

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अलख पांडे मूल रूप से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के रहने वाले हैं. 2016 में, अलख पांडेय ने यूट्यूब चैनल “फिजिक्स वाला” शुरू किया. वह फिजिक्स रोचक तरीके से पढ़ाते थे. उनके हास्यपूर्ण अंदाज और एनिमेशन के इस्तेमाल ने उन्हें खास पहचान दी. धीरे-धीरे उनके चैनल की लोकप्रियता बढ़ती गई और वह ऑनलाइन शिक्षा का जाना-माना नाम बन गए. 

विकास दिव्यकीर्ति

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विकास दिव्यकीर्ति को भला कौन नहीं जानता है? यदि आप एक आईएएस कैंडिडेट हैं तो विकास सर को बखूबी तरीके से जानते होंगे, जो की दृष्टि आईएएस कोचिंग के संस्थापक हैं. सौम्यता से छात्रों को पढ़ाने वाले विकास दिव्यकीर्ति के पास ज्ञान का भंडार है. छात्रोंं को ऐसे पढ़ाते हैं, मानों छोटे बच्चों को समझा रहे हैं. इनकी एकेडमी देश भर में प्रसिद्ध है. ये ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों तरह से बच्चों को पढ़ाते हैं.

आरके श्रीवास्तव

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आरके श्रीवास्तव (रजनी कांत श्रीवास्तव) बिहार के फेमस टीचर हैं. मैथमेटिक्स गुरु के नाम से फेमस आरके श्रीवास्तव का जन्म बिहार राज्य के रोहतास जिले के बिक्रमगंज गांव में हुआ. आरके सर ने पढ़ाने की शुरूआत अपने मातृभूमि बिक्रमगंज किया. आरके श्रीवास्तव ने अपने गांव के असहाय निर्धन सैकड़ो स्टूडेंट्स को निशुल्क शिक्षा देकर आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई में सफलता दिलाया. सर अब तक, 540 आर्थिक रूप से गरीब छात्रों को सिर्फ1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर स्टूडेंट्स को मैथमेटिक्स की बारीकियां सीखाते हैं. उन्होनें सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर पढ़ाना शुरू किया था.

अवध ओझा सर

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रील्स, यूट्यूब हो या फेसबुक, आपको गमछा लिए एक गुरुजी मिल जाएंगे. इतिहास के जानकार अवध ओझा सर, अपने अलग अंदाज से छात्रों का मन मोहते हैं. अगर आप यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और यूट्यूब पर यूपीएससी से संबंधित वीडियो देखते है, तो अवध ओझा सर (Avadh Ojhaका वीडियो आपने कभी न कभी जरूर देखा होगा. अवध ओझा सर यू-ट्यूब के जरिए बच्चों से संवाद करते हैं.

आज शिक्षकों का होगा सम्मान

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू गुरुवार को यहां विज्ञान भवन में 82 चयनित शिक्षकों को ‘शिक्षक पुरस्कार 2024’ से सम्मानित करेंगी. ‘शिक्षक पुरस्कार 2024’ के लिए उच्च शैक्षिक संस्थानों और पॉलिटेक्निक के 16 शिक्षकों का भी चयन किया है. यह पहली बार है जब उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों को भी पुरस्कृत किया जा रहा है.

अब तक यह पुरस्कार केवल स्कूल शिक्षकों तक ही सीमित था. अब उच्च शैक्षिक संस्थानों (एचईआई) और पॉलिटेक्निक के लिए भी पुरस्कारों की दो श्रेणियां स्थापित करने का निर्णय लिया गया है.

हर साल 5 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का उद्देश्य देश में शिक्षकों के अद्वितीय योगदान को सम्मानित करना है.

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इन पुरस्कारों का उद्देश्य उन शिक्षकों को सम्मानित करना है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और समर्पण के माध्यम से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि छात्रों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है.

इस वर्ष शिक्षकों का चयन तीन चरणों वाली चयन प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है. इस प्रक्रिया में जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षकों का चयन शामिल है.

शिक्षा मंत्रालय का स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग हर साल 5 सितम्‍बर को शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर का समारोह आयोजित करता है. इसमें कठिन, पारदर्शी और ऑनलाइन चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं.

राज्य सरकार, संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन, स्थानीय निकायों और राज्य क्षेत्र बोर्ड से संबद्ध, संचालित व मान्यता प्राप्त विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक और स्कूल प्रमुख इस पुरस्कार के लिए पात्र हैं.

केन्‍द्र सरकार के स्कूल, यानी केन्‍द्रीय विद्यालय (केवी), जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी), रक्षा मंत्रालय (एमओडी) द्वारा संचालित सैनिक स्कूल, परमाणु ऊर्जा शिक्षा सोसायटी (एईईएस) द्वारा संचालित स्कूल, और जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा संचालित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) और केन्‍द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और भारतीय विद्यालय प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (सीआईएससीई) से संबद्ध स्कूल भी इसके लिए मान्य हैं.
 


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