NCERT की पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटाने के आरोपों का कोई आधार नहीं: शिक्षा मंत्री 


नई दिल्ली:

NCERT Books Preamble: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एनसीईआरटी यानी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की कक्षा 3 और कक्षा 6 की पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटाने के आरोप को निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत पहली बार एनसीईआरटी ने पाठ्यपुस्तकों में भारत के संविधान के विभिन्न पहलुओं— प्रस्तावना, मौलिक कर्तव्य, मौलिक अधिकार, राष्ट्रगान, को उचित महत्व और सम्मान देने का काम किया है. 

बच्चों के समग्र विकास के लिए नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के दृष्टिकोण का पालन करते हुए इन सभी पहलुओं को एग एप्रोपिएट (age-appropriate) विभिन्न चरणों की पाठ्यपुस्तकों में रखा जा रहा है. लेकिन, शिक्षा जैसे विषय को भी अपने झूठ की राजनीति के लिए इस्तेमाल करना और इसके लिए बच्चों का सहारा लेना कांग्रेस पार्टी की घृणित मानसिकता को दिखाता है. 

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बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले और भारतीय शिक्षा व्यवस्था को बकवास बताने वालों को झूठ फैलाने से पहले सच जानने की कोशिश करनी चाहिए. मैकाले की विचारधारा से प्रेरित कांग्रेस शुरू से ही भारत के विकास और शिक्षा व्यवस्था से घृणा रखती है. यह तर्क कि केवल संविधान की प्रस्तावना ही संवैधानिक मूल्यों का प्रतिबिंब है, कांग्रेस की संविधान की समझ को उजागर करता है. 

कांग्रेस का पाप का घड़ा भर चुका है और आजकल जो ‘झूठे संविधान प्रेमी’ बनकर घूम रहे हैं और संविधान की प्रति लहरा रहे हैं, इनके पूर्वजों ने ही बार-बार संविधान की मूल भावना की हत्या करने का काम किया था। कांग्रेस पार्टी में अगर थोड़ी सी भी शर्म और आत्मग्लानि बची हो तो पहले संविधान, संवैधानिक मूल्यों और एनईपी को समझे और देश के बच्चों के नाम पर अपनी क्षुद्र राजनीति करना बंद करे.

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क्या है मामला

एनसीईआरटी ने 2005-06 और 2007-08 के बीच सभी कक्षाओं के लिए पाठ्यपुस्तकें जारी की थीं. अब इन्हें नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के अनुरूप संशोधित किया जा रहा है. एनसीईआरटी ने कक्षा 3 और 6 के लिए नई पुस्तकें जारी की हैं, जिसमें संविधान की प्रस्तावना को हटाने का आरोप विपक्षी पार्टियों द्वारा लगाया जा रहा था, जिसे केंद्रीय मंत्री ने आराधीन बताया है.



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