अन्तरराष्टÑीय महिला दिवस विशेष : कोई पति के निधन पर ढाबा खोल कर बच्चों की कर रही परवरिश तो कोई कर रही जन सेवा

सांगोद।  महिलाएं आज के समाज की एक अहम हिस्सा हैं, हर क्षेत्र और कार्य में महिलाएं पूरी क्षमता के साथ अपना योगदान दे रही हैं। वहीं वर्तमान परिदृश्य में महिलाएं परिवार चलाने से लेकर देश तक को बखूबी संभाल रही है। महिला दिवस को लेकर नवज्योति ने महिलाओं से खास बात की। उन महिलाओं की जो परिवार को संभालने के साथ में बिजनेस, स्कूल और संस्थाएं भी संभाल रही है। इसके अलावा अपने पारिवारिक और सामाजिक जीवन के बीच एक बेहतर सामंजस्य बना रही है। 

रचना सिलाई कर बच्चों की अच्छी परवरिश की
रचना गोस्वामी( 6-7 साल से सिलाई करके पूरे परिवार को पालना) ने बताया की कि जीवन में कोई भी काम छोटा नहीं होता, और ना ही किसी काम में शर्म करनी चाहिए। रचना गोस्वामी पिछले कई वर्षों से सिलाई का काम कर रही है। रोजमर्रा के काम के बाद दिन भर सिलाई का काम करना, बच्चों की अच्छी परवरिश, पढ़ाई  अच्छे स्कूल में करवाना चुकी पति मंदिर में पुजारी है, इसलिए पूरा खर्च का बोझ इन्ही पर है फिर भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी और खुशी से अपना काम करके जीवन व्यतीत कर रही है।

मीना ने पति के निधन पर ढाबा खोलकर बच्चें को पढ़ाया
मीना देवी कुशवाहा ने बताया की आजकल एक कमरे में दो जने रहना पसंद नहीं करते वही हम पांच सदस्य 30 साल से किराए के केवल एक कमरे में रह रहे हैं, 4 वर्ष पहले नहाण के प्रसिद्ध कलाकार पति प्रेम शंकर का हृदयाघात से अचानक निधन हो गया था, उसके बाद दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, मेहनत करके खुद के दम पर ढाबा खोला और बच्चों को पढ़ाया साथ ही पति के निधन के बाद दो लड़कों राजकुमार, दीपक और एक बेटी ममता को पालने की जिम्मेदारी थी। बेटी ने भी मां के संघर्ष को देखा और और पढ़ाई में की जान लगा दी जिससे मेरी बेटी ने 2013 में टॉप किया और उसे लैपटॉप मिला साथ ही व 2012 में गार्गी पुरुस्कार के लिए चयन हुआ।

नहीं हारी, अब जनसेवकर बन कर गांव की सेवा कर रही
डाबरी खुर्द की जनसेवन बृजबाला शर्मा ने बताया कि जीवन में कुछ करने की जिद को लेकर आगे बढ़ती रही, जब होश संभाला और पिता के प्यार की सबसे ज्यादा जरूरत थी उसी समय पिता आचार्य पंडित रामचंद्र शर्मा की दुर्घटना में मृत्यु हो गई, उस समय 15 वर्ष की थी, लगा सब कुछ खत्म हो गया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। पॉलीटिकल साइंस डबल एएम किया, संस्कृत में एएम किया और बच्चों को संस्कृत पढ़ना शुरू कर दिया, मेरे बाबूजी 2014 में शांत होने के बाद अनाथ बच्ची को मेरे बाबू जी के अच्छे मित्र उन्होंने मुझे अपनी बेटी बनाकर मेरी शिक्षा दीक्षा इनके सानिध्य में हुई। 2016 मेरा सिलेक्शन आर्मी ट्रेनिंग के लिए हो गया था लेकिन पारिवारिक कारणों की वजह से नही जा पाई, फिर सोचा देश की नही सही, जन सेवक बनकर काम करूंगा, इसके बाद मुझे गांव वालों का प्यार मिलने लगा, गांव वालों की समस्याएं व मुद्दों को लेकर कभी पीछे नहीं हटी, देखा आपने ही गांव में पीने का पानी, लाइट, सड़क नहीं है गांव के विद्यालय में पर्याप्त कमरे नहीं है, तो चुनाव लडने का मानस बनाया और गांव वालों की वजह से चुनाव जीतकर जिला पंचायत समिति सदस्य के रूप में जनप्रतिनिधि बनी।

ममता गौतम महिलाओं के लिए आवाज उठा रही
चार हाटडी, निवासी ममता गौतम ने बताया की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है, आज का जमाना महिलाओं का ही है चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या कोई और मैं खुद पिछले 10 सालों से महिलाओं और आमजन के लिए आवाज उठा रही हूं, ऐसा कोई मुद्दा नहीं है, जिसके लिए मैं आगे नहीं रही हूं। आज जो मुकाम मैंने मुकाम हासिल किया है। वह कई वर्षों की मेहनत का फल है, सफलता का कोई शॉर्टकट नही है।

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