देहरादून. भारत समेत कई देशों में भूमिगत जल कम होता जा रहा है और जल स्रोत सूखते जा रहे हैं. ऐसे में आने वाले कल यानी भविष्य में पानी का संकट खड़ा हो जाएगा. जल ही जीवन है लेकिन अगर जल ही नहीं रहेगा, तो जीवन भी नहीं रहेगा, इसीलिए कल के लिए जल बचाने की सोच सभी में विकसित करने की जरूरत है. आने वाली पीढ़ी जो स्कूलों में है, को जल के महत्व और संकट की चिंता से जोड़ना जरूरी है. इसी कड़ी में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पर्यावरण प्रेमियों ने जल संरक्षण की दिशा में एक अभियान की शुरुआत की है, जिसको ‘कल के लिए जल’ नाम दिया गया है. इसके अंतर्गत स्कूली बच्चे जल स्रोतों को गोद लेंगे और पानी बचाने का संकल्प लेंगे. जल स्त्रोत गोद लेने से इनका सही से रखरखाव हो सकेगा. इसके अलावा इस अभियान में बच्चों को जल की महत्वता बताने के लिए कई तरह की एक्टिविटीज की जाएंगी.
पर्यावरण प्रेमी द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने लोकल 18 से कहा कि जल की किल्लत सिर्फ हमारी समस्या ही नहीं है बल्कि यह विश्वभर के लिए संकट साबित हो सकता है. पिछले साल बेंगलुरु में होली के समय उस दिन किसी के घर में पानी नहीं आया. सबके नल सूखे पड़े थे इसलिए उस दिन को जीरो डे कहा गया. लोगों ने सूखी होली खेली. ऐसे ही देहरादून के कुछ इलाकों में लोगों को पानी की समस्या का सामना भी करना पड़ा था. पहाड़ों पर भी अब जल संकट देखने के लिए मिलता है, इसलिए हर स्तर से अपने क्षेत्र के जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की जरूरत है.
जल स्रोत के ऊपर जलकुंड का निर्माण
उन्होंने कहा कि पानी की कीमत बताते हुए ‘कल के लिए जल’ अभियान से ज्यादा से ज्यादा लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ा जा रहा है. स्कूली बच्चे जल स्रोतों को गोद लेंगे. इसके बाद स्कूल गोद लिए हुए धारा पर शोध करेंगे और इसके कैचमेंट एरिया को ढूंढकर वहां पर जल कुंड का निर्माण करेंगे. इसमें बच्चों को कहा गया कि आपने अपने जन्मदिन पर गांव के आसपास प्राकृतिक जल स्रोत के ऊपर जलकुंड का निर्माण करना है, जिससे जल संरक्षण के साथ-साथ जंगल में रहने वाले जंगली जानवरों को भी पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा. हम लोगों से अपील कर रहे हैं कि सभी लोग अपने-अपने जन्मदिन पर कच्चे तालाब बनाएं. इस अभियान के तहत बच्चों के बीच प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जाएंगी. अच्छे जल कुंड बनाने और उसको मेंटेन रखने वाले बच्चे को सम्मानित किया जाएगा. जलकुंड से जल संरक्षण के साथ ही बारिश में बहने वाली मिट्टी भी रुक जाती है. वहीं मृदा संरक्षण में भी जलकुंड महत्वपूर्ण योगदान निभाते हैं.
स्कूल ने गोद लिया पथियाणा धारा
‘कल के लिए जल’ अभियान से प्रेरित होकर राजकीय इंटर कॉलेज गालुड धार ब्लॉक प्रताप नगर, टिहरी गढ़वाल में विज्ञान के शिक्षक नरेश बिजल्वाण के नेतृत्व में जल संरक्षण की नई मुहिम चलाई जा रही है, जिसमें स्कूल के छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के सहयोग से स्कूल से थोड़ी दूर ही पथियाणा गांव के पास पथियाणा धारा को विद्यालय ने गोद लिया है, जिसका ख्याल बच्चे बखूबी रख रहे हैं. धारा के आसपास साफ-सफाई भी बच्चे करते रहते हैं. नरेश बिजल्वाण ने बताया कि जल संरक्षण पर्यावरण के लिए आर्थिक रूप से भी लाभदायक है. ताजे पानी की घटती उपलब्धता और उन्नत उपचार विधियों की जरूरत के कारण जल निष्कर्षण, उपचार और वितरण की लागत भी बढ़ रही है. जल संरक्षण से हम पानी की मांग को कम कर सकते हैं और इसके निष्कर्षण, उपचार और वितरण से जुड़ी लागतों को कम कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 5, 2024, 15:21 IST