देहरादून: चित्रकला के शौकीनों के लिए देहरादून में बेहतरीन कलाओं का प्रदर्शन किया जा रहा है. देहरादून के बल्लूपुर के पास अल्कापुरी में स्थित चित्रा आर्ट गैलरी में 20 नवंबर से चित्रकला प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है. कोलकाता के शानदार आर्टिस्ट यहां पहुंचे हैं. यहां आपको कोलकाता की ट्रेडिशनल कालीघाट आर्ट देखने के लिए मिलेगी. चित्रा आर्ट गैलरी के संचालक अरविंद गैरोला ने कहा है कि हमारे देश की अलग-अलग चित्रकला हैं लेकिन हर कला कोई न कोई मैसेज देती है.
कला और संस्कृति का संगम
उन्होंने कहा है कि कला सरहदों को लांघकर दूर- दूर पहुंचती है. आज देवभूमि उत्तराखंड में बंगाल की भूमि से कलाकार पहुंचे हैं और चित्रा आर्ट गैलरी में बंगाल और उत्तराखंड की कला और संस्कृति का संगम देखने को मिल रहा है. पश्चिम बंगाल के कोलकाता टैलेंट सर्च स्कूल से करीब 38 चित्रकार अपनी खूबसूरत पेंटिंग्स लेकर आए हैं. अगर कोई इस प्रदर्शनी को देखने के लिए आना चाहता है तो यह निशुल्क है और 20 नवंबर से 22 नवंबर दोपहर 2 बजे तक लगेगी.
सुबह 11:00 बजे से शाम 7:00 तक आप पेंटिंग्स को देख सकते हैं और खरीद भी सकते हैं. उत्तराखंड के वरिष्ठ चित्रकार और उत्तराखंड गौरव सम्मान प्राप्त करने वाले ज्ञानेंद्र कुमार भी आर्ट गैलरी में अद्भुत कलाओं को देखने के लिए पहुंचे. उन्होंने कहा कि समय-समय पर इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए ताकि हम एक-दूसरे की संस्कृति और कलाओं से रूबरू हो सकें.
दूर-दूर से आए चित्रकार
कोलकाता से आई आर्टिस्ट रूपाली ने लोकल 18 को बताया कि उन्होंने भगवान शिव और हिमालय को अपनी कला के माध्यम से दिखाने की कोशिश की है कि किस तरह से महादेव उत्तराखंड के हिमालय में रहे. वहीं पश्चिम बंगाल के हुगली से देहरादून आए स्वरूप चक्रवर्ती ने बताया कि वह पेशे से पत्रकार हैं लेकिन पिछले 6-7 सालों से कला से जुड़े हुए हैं. जब भी उन्हें वक्त मिलता है तो वे पेंटिंग्स बनाने लगते हैं. उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में आकर उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है. पोम्पी मजूमदार ने कहा कि यहां के कलाकारों की कला और उत्तराखंड के गांव और संस्कृति से जुड़ने ये बढ़िया मौका है.
क्या है बंगाल की कला की विशेषता?
पोम्पी मजूमदार ने बताया कि कालीघाट चित्रकला बंगाल की परंपरागत कला है जो 19वीं सदी में कोलकाता के कालीघाट मंदिर में शुरू हुई थी. इसमें हमारे धार्मिक और पारम्परिक किमवदंतियों के पात्रों को दर्शाया जाता है. विशेष तौर पर इसमें देवी देवताओं का चित्रण होता है. पहले कालीघाट पटचित्र बनाकर लोकगाथाओं को सुनाया जाता था. इन्हें कपड़े या ताड़पत्र पर बनाया जाता था. उन्होंने कहा कि मंदिरों, ऐतिहासिक इमारत के साथ-साथ रेलवे स्टेशन आदि पर आप कालीघाट पेंटिंग्स देख सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 21, 2024, 14:05 IST