Last Updated:
Almora News: मनोचिकित्सक डॉ वीना तेजान ने लोकल 18 से कहा कि अपने बच्चों के रिजल्ट को लेकर अभिभावक समय-समय पर उनसे बातचीत करें. हो सके तो इस समय बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं. इसके अलावा उन्हें योग, …और पढ़ें
मनोचिकित्सक डॉ वीना तेजान.
अल्मोड़ा. CBSE और राज्य की बोर्ड परीक्षाएं खत्म हो चुकी हैं. ज्यादातर राज्यों में रिजल्ट घोषित नहीं किया गया है. रिजल्ट को लेकर बच्चों के साथ-साथ अभिभावक भी काफी चिंतित रहते हैं. छात्र फेल-पास, ज्यादा नंबर लाने आदि बातों को सोचकर टेंशन में रहते हैं. उनपर सोशल प्रेशर भी खूब रहता है, जिस वजह से कई बार वे मानसिक तनाव का भी शिकार हो जाते हैं. लोकल 18 ने उत्तराखंड के अल्मोड़ा के बेस अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉ वीना तेजान से इस बारे में बातचीत की. उन्होंने कहा कि छात्रों के रिजल्ट को लेकर अभिभावक समय-समय पर बच्चों से बातचीत करें और हो सके तो इस समय बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं. इसके अलावा बच्चों को योग, मेडिटेशन, एक्सरसाइज आदि एक्टिविटीज में बिजी रखें.
उन्होंने कहा कि बोर्ड एग्जाम के अलावा दूसरे कंपटीशन को लेकर भी बच्चे और अभिभावक काफी चिंता में रहते हैं. सभी को अच्छे मार्क्स लाने की होड़ लगी रहती है. सबसे ज्यादा प्रेशर अभिभावक ले लेते हैं. अभिभावक अपने बच्चों की तुलना पड़ोस और अपने परिवार के होशियार बच्चों से करने लगते हैं. जिस वजह से वे काफी प्रेशर में आ जाते हैं. ऐसा बच्चों की मेंटल हेल्थ के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ एक दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए. अभिभावकों को खुद को बच्चों की सिचुएशन में रखकर देखना और समझना चाहिए. माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य बच्चों से रोजाना बातचीत करें और उन्हें सकारात्मक विचार दें. बच्चों को बताएं कि परीक्षा में पास और फेल होना जीवन का एक हिस्सा मात्र है. बच्चों को इस समय सपोर्ट करें. अगर बच्चे एग्जाम के बाद तनाव महसूस कर रहे हैं, तो उन्हें फिजिकल एक्टिविटीज, एक्सरसाइज, मेडिटेशन, ब्रीदिंग एक्सरसाइज के अलावा योग की ओर प्रेरित करना चाहिए ताकि बच्चे मानसिक तनाव महसूस न करें और वे पॉजिटिव विचारों से भरे रहें.
बच्चों पर रखें विशेष नजर
डॉ वीना तेजान ने आगे कहा कि अगर बच्चों के अच्छे मार्क्स नहीं आए हैं, तो उनपर विशेष नजर रखनी चाहिए कि बच्चा पूरे समय कैसी गतिविधि कर रहा है. किसी से बात नहीं करना, घर से बाहर नहीं जाना, खाना नहीं खाना, डिप्रेशन, नींद आने में दिक्कत होने के अलावा कई अन्य बातें उनमें देखी जा सकती हैं. ऐसे में अभिभावक उनसे बातचीत करें और ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं. फिर भी बच्चा सामान्य न हो, तो उन्हें जल्द से जल्द मनोचिकित्सक को दिखाएं.