दिल्ली: प्राचीन काल से ही लौह इस्पात के लिए मशहूर उत्तराखंड के लोहाघाट की लोहे की चमक वहां की महिलाओं के लिए एक बड़ा रोजगार देने का काम कर रहा है. यहां कि महिलाएं कच्चे लोहे से बर्तन बनाकर खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं. साथ ही, पूरे भारत में अपने लोहे के बर्तन बेचकर आज लाखों की कमाई कर रही हैं, तो चलिए उन महिलाओं की सफलता की कहानी के बारे में जानते हैं कि कैसे लोहाघाट का लोहा उनके लिए इतना बड़ा रोजगार का एक अवसर बना.
बता दें कि दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला लगा था, जहां भारत के सभी राज्य की कई चीजें इस मेले में मिल रही थी. वहीं यह मेला बहुत सी महिलाओं के लिए उनके अपने व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए एक अच्छा प्लेटफार्म साबित हुआ. वहीं इस मेले में उत्तराखंड के लोहाघाट की महिलाओं का भी एक स्टाल लगा था, जहां बहुत सुंदर और अलग प्रकार के लोहे के बर्तन बिक रहे थे और इन्हें खरीदने के लिए लोगों की काफी भीड़ भी लगी थी.
बर्तनों से होती है लाखों की कमाई
इस बीच समूह की एक महिला नारायणी देवी ने लोकल 18 की टीम से बात करते हुए बताया कि उनके समूह का नाम पूर्णागिरि है, जिसमें 40 महिलाएं मिलकर अपने घर से ही लोहे का बर्तन बनाने का काम करती हैं, फिर इन बर्तनों को अलग-अलग एग्जिबिशन और सरकारी स्कूल मे ले जाकर बचती हैं, जिससे वह सालाना लाखों की कमाई कर रही हैं. बता दें कि लोहे का बर्तन बनाने का ये काम इनका पुश्तैनी चला आ रहा है, जहां से इन्होंने इस कला को सीखा है.
क्या है इनके बर्तन की खासियत
नारायणी देवी ने अपने लोहे के बर्तन की खासियत के बारे में बताया कि इनका बर्तन पीआर लोहे से बना होता है. इसमें खाना बनाकर खाने से शरीर में आयरन की कमी पूरी होती है और सेहत भी ठीक रहता है. उन्होंने आगे बताया कि वह लोहे से कढ़ाई, फ्राई पैन, तवा, कुल्हाड़ी, बसूला, पलटे, डाड़ू, चिमटे, दराती, छलनी, सग्गड़ जैसी चीजें बनाती हैं, जिसका लोगों के बीच में काफी डिमांड है. वहीं इनके बर्तनों की कीमत की बात करें तो ₹300 किलो के हिसाब से बर्तन मिलते हैं. बता दें कि इन महिलाओं को अपनी कला की वजह से वहां के सीएम पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखंड के राज्यपाल द्वारा अवार्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है.
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FIRST PUBLISHED : January 3, 2025, 13:31 IST