वाह भाई वाह! 7 साल की हर्षिका करती है योग के ऐसे आसन की हैरान रह जाएंगे आप, जीत चुकी है 20 से ज्यादा मेडल



हल्द्वानी. उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर में रहने वाली 7 वर्षीय हर्षिका रिखाड़ी छोटी से उम्र में योग के क्षेत्र में राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपना नाम रोशन कर चुकी है. कक्षा 3 में पढ़ने वाली हर्षिका छोटी सी उम्र में योग के ऐसे-ऐसे आसन कर लेती है जिससे लोग भी आश्चर्यचकित हो जाते हैं. हर्षिका पिछले एक साल से देशभर की योग प्रतियोगिताओं में कई मेडल अपने नाम कर चुकी हैं. साथ ही उनकी जिम्नास्टिक में भी बहुत रुचि है. वह अब योगासन के साथ-साथ जिम्नास्टिक के क्षेत्र में भी अपना भविष्य संवारने की तैयारी कर रही है.

कई बार हुई सम्मानित
हर्षिका कोनार्क चिल्ड्रन अकेडमी हल्द्वानी स्कूल में कक्षा तीन में पढ़ती है. वे अब तक विभिन्न योग प्रतियोगिताओं में लगभग 20 से ज्यादा मेडल, ट्रॉफी और सर्टिफिकेट जीत चुकी हैं. हर्षिका योग के साथ-साथ एक्शन वर्ल्ड सेंटर से जिम्नास्टिक भी सीख रही हैं. उनका अगला लक्ष्य है कि वे अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीतकर उत्तराखंड का नाम रोशन करें. हर्षिका ने बताया कि वे 2 साल से योग की ट्रेनिंग ले रही हैं. हर्षिका को दिल्ली में आयोजित योग रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.

7 साल की उम्र में 20 से ज्यादा मेडल जीत चुकी हर्षिका
हर्षिका कई जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय स्तरीय योग प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर चुकी हैं. उन्होंने मात्र 7 साल की उम्र में 20 से अधिक मेडल जीते हैं. इनमें 8 तो गोल्ड मेडल हैं. हर्षिका रिखाड़ी के माता-पिता बेटी की इस उपलब्धि का पूरा श्रेय उनके कोच नीरज धपोला को देते हैं, जो इतनी मेहनत और लगन से हर्षिका को योग और जिम्नास्टिक कराते हैं. हर्षिका की मां मोनिका रिखाड़ी का कहना है कि उनकी बेटी को बचपन से ही योग और डांस में रुचि थी. जिसको देखते हुए उसे खूब प्रोत्साहित किया गया.

योग में बच्चों की बढ़ानी है रुचि
हर्षिका के कोच नीरज धपोला ने कहा कि योग करने से बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास तेजी से होता है. योग बच्चों में एकाग्रता को बढ़ाता है और तनाव कम करता है. इसलिए, बच्चों को रोजाना 30 मिनट योग करना चाहिए. रोजाना योग करने से बच्चों को नींद अच्छी आती है और तनाव भी कम होता है. तनाव कम करने के लिए बच्चों को माइंडफुलनेस थेरेपी, मेडिटेशन और आसन करने के लिए उनके अभिभवकों द्वारा प्रेरित किया जाना चाहिए.

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