जयपुर। प्रदेश में सामान्य स्कूलों को महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल में रूपांतरित करने और माध्यमिक स्कूलों को उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत करने से तकरीबन 25 हजार शिक्षक अधिशेष हो गए हैं। फिलहाल यह शिक्षक शिक्षा विभाग के कार्यालयों और कार्य व्यवस्था के नाम पर इधर-उधर स्कूलों में लगे हुए हैं। इनका नियमित वेतन भी उठ रहा है, लेकिन स्थाई पदस्थापन नहीं मिलने से यह शिक्षक तनाव में हैं। दूसरी ओर, नई भर्तियों में रिक्त पद भरे जा रहे हैं, जो इन अधिशेष शिक्षकों की चिंता को और बढ़ा रहे हैं। इन सबके बीच शिक्षक उपलब्ध होने के बावजूद स्कूलों में पदों के रिक्त रहने से विद्यार्थियों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। 2022 से ऐसे शिक्षक अधिशेष चल रहे हैं डेढ़ वर्ष से अधिशेष होने से पढ़ाई पर विपरीत असर पड़ रहा है।
स्कूलों को रूपांतरित और क्रमोन्नत किया
प्रदेश के अनेक जिलों में हिंदी से अंग्रेजी माध्यम में और प्राथमिक से उच्च प्राथमिक और उच्च प्राथमिक से उच्च माध्यमिक स्तर पर स्कूलों को रूपांतरित और क्रमोन्नत किया गया है। सरकार के इस फैसले ने लगभग 25 हजार से अधिक शिक्षकों को अधिशेष कर दिया है। स्कूलों में शिक्षा सत्र समाप्ति की और हैं। राज्य में अब तक 4 हजार महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय खोले जा चुके हैं। इनमें अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षकों को ही महत्व दिया जा रहा है। ऐसे में पहले से कार्यरत स्कूलों में इनमें दिव्यांग, विधवा,परित्यक्ता, कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित शिक्षक भी शामिल हैं।
तो और इंतजार करना पड़ सकता है
राज्य में लोकसभा चुनावों की आचार संहिता मार्च के प्रथम या द्वितीय सप्ताह में लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है। ऐसे में अधिशेष शिक्षकों को भय सता रहा है कि यदि पदस्थापन नहीं किया गया, तो आचार संहिता के चलते कई महीने और इंतजार करना पड़ेगा। राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा का कहना है नई सरकार को शिक्षा विभाग का ढांचे को सही करना चाहिए, जिसमें 60 हजार शिक्षकों की पदोन्नति तथा 25 हजार शिक्षकों का समायोजन सहित नए खोलें विद्यालयों पद सृजन एवं सभी शिक्षकों के स्थानांतरण आदि नए शिक्षा सत्र से पूर्व करना चाहिए। तभी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।