नैनीताल: एक तरफ जहां हिंदू-मुस्लिम को लेकर राजनीति छिड़ी रहती है, लोगों में बहस होती रहती है, तो वहीं दूसरी ओर देवभूमि उत्तराखंड में आपसी सौहार्द की एक अद्भुत कहानी सामने आई है. नैनीताल शहर में आपसी सौहार्द की मिसाल पेश करते हुए रामलीला का मंचन किया जा रहा है. यहां धर्म और सियासत की राजनीति से दूर, हिंदू-मुस्लिम से परे, एकता की परिकल्पना को साकार करती रामलीला सच में राम राज्य की कल्पना को साकार करती है.
मुस्लिम बेटी का सीता बनना
दरअसल, नैनीताल शहर के तल्लीताल क्षेत्र में हो रही रामलीला में मुस्लिम समाज की बेटी रिदा खान सीता का किरदार निभा रही हैं. इससे पहले भी रिदा रामलीला में शबरी का किरदार निभा चुकी हैं. नगर के वसंत वैली पब्लिक स्कूल में कक्षा 8वीं में पढ़ रही रिदा खान को बचपन से ही संगीत में रुचि है.
रिदा का रामलीला में अनुभव
लोकल 18 से खास बातचीत के दौरान रिदा ने बताया कि वो पिछले तीन सालों से रामलीला में प्रतिभाग कर रही हैं. उन्होंने इससे पहले दो सालों तक शबरी का अभिनय किया है. लेकिन इस बार उन्हें मां सीता का रोल मिला है, जिसे वो बखूबी निभा रही हैं. वो अभी महज 13 साल की हैं और इतनी छोटी उम्र में उन्हें रामलीला की सभी चौपाई याद हैं. मंच पर सीता के रूप में उनका अभिनय दर्शक भी खूब पसंद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें रामलीला में अभिनय करना बेहद पसंद है. रामलीला से एक महीना पहले स्कूल के साथ ही शाम के समय वो रोजाना रामलीला की तालीम लेने आती थीं.
रिदा की संगीत प्रतिभा
रिदा ने बताया कि उन्हें संगीत पसंद है और वो एक कुशल सितार वादक भी हैं. इसके अलावा वो गायन और हारमोनियम बजाना भी जानती हैं. वो ताल सरना अकादमी नैनीताल में अमन महाजन और दीक्षा महाजन के निर्देशन में संगीत का प्रशिक्षण ले रही हैं. उन्होंने आगे बताया कि वो अपने जीवन में गायिका बनना चाहती हैं, जिसके लिए उनका परिवार भी उन्हें बेहद समर्थन करता है. उनकी मां नैनीताल नगरपालिका में काम करती हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 8, 2024, 17:20 IST