श्रीनगर गढ़वाल. उत्तराखंड के एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय हेमवंती नंदन गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण अधिकारियों के पद पिछले एक साल से खाली पड़े हैं. इन पदों पर अस्थायी रूप से विश्वविद्यालय के सीनियर प्रोफेसर कार्य देख रहे हैं, जिनकी नियुक्ति अस्थायी रूप से की गई है. इस कारण कहीं न कहीं विश्वविद्यालय के शैक्षिक कार्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. वर्तमान में कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, वित्त अधिकारी और खेल निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पद खाली चल रहे हैं. विश्वविद्यालय ने इन पदों को भरने के लिए विज्ञप्ति भी जारी की है लेकिन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपति के संबंध में कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश न मिलने के कारण इन पदों की नियुक्ति प्रक्रिया पर संदेह बना हुआ है.
गढ़वाल यूनिवर्सिटी के कुलपति का कार्यकाल 31 अक्टूबर को समाप्त हो चुका है. वहीं, इन पदों के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 6 नवंबर थी. अंतिम तिथि के बाद विश्वविद्यालय को 60 दिनों के भीतर इन पदों को भरने का आदेश पहले ही केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है. दूसरी ओर गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र भी अधिकारियों के पदों पर अस्थायी नियुक्तियों को लेकर खासे नाराज हैं. लोकल 18 ने विश्वविद्यालय के छात्रों से इस मुद्दे पर जानकारी लेने की कोशिश की और यह जानने की कोशिश की कि पिछले एक साल से इतने महत्वपूर्ण अधिकारियों के पद खाली रहने के कारण छात्रों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
छात्रसंघ अध्यक्ष जसवंत राणा ने लोकल 18 को बताया कि गढ़वाल विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण अधिकारियों के पद खाली हैं. ये ऐसे पद हैं, जो विश्वविद्यालय के अधिकांश निर्णयों से संबंधित होते हैं. उनका कहना है कि इन पदों पर जल्द से जल्द स्थायी नियुक्ति होनी चाहिए क्योंकि इन पदों के खाली रहने से छात्रों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
छात्रों की पढ़ाई हो रही बाधित
गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अंकित उछोली ने लोकल 18 से कहा कि केंद्र सरकार को एक जांच समिति का गठन करना चाहिए ताकि यह पता चल सके कि विश्वविद्यालय के सभी महत्वपूर्ण अधिकारी पद क्यों छोड़कर जा रहे हैं और क्यों अस्थायी रूप से नए अधिकारी आ रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों को विवि द्वारा पद छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अस्थायी रूप से विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों को नियुक्त किया गया है, जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है क्योंकि सभी शिक्षक प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त हैं.
गढ़वाल के छात्रों को ही नहीं मिल रहा प्रवेश
पीएचडी स्कॉलर अतुल सती ने लोकल 18 से कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों की स्थायी नियुक्ति न होने के कारण हर साल अकादमिक स्तर में गिरावट आ रही है. पिछले पांच सालों से विश्वविद्यालय में कई अनियमितताएं चल रही हैं, जिससे छात्रों को काफी दिक्कतें हो रही हैं. अतुल सती ने यह भी कहा कि कुलपति के कार्यकाल को बढ़ाया नहीं जाना चाहिए क्योंकि उनके पिछले पांच सालों के कार्यकाल में केवल छात्रों का उत्पीड़न हुआ है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उत्तराखंड के एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय में गढ़वाल के छात्रों को ही प्रवेश नहीं मिल पा रहा है क्योंकि यूनिवर्सिटी में CUET लागू कर दिया गया है.
प्रशासनिक अधिकारियों के पदों पर जल्द हो स्थायी नियुक्ति
पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष गौरव मोहन नेगी ने लोकल 18 को बताया कि विश्वविद्यालय एक्ट के अनुसार, जब तक नए कुलपति की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक पुराने कुलपति को ही पद पर बने रहना चाहिए. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यूनिवर्सिटी में प्रशासनिक अधिकारियों के पदों पर स्थायी नियुक्तियां न होने के कारण छात्रों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि परीक्षाओं में देरी और परीक्षा परिणामों में देरी. उन्होंने मांग की है कि इन पदों पर जल्द से जल्द स्थायी नियुक्ति की जाए.
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FIRST PUBLISHED : November 7, 2024, 13:18 IST