देहरादून. केंद्र सरकार ने स्कूलों में ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (Public Opinion On No Detention Policy) को खत्म करने का बड़ा फैसला लिया है. ऐसे में अब कक्षा 5 और 8 के छात्रों को फेल होने पर अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा. इस फैसले ने शिक्षा क्षेत्र में एक नई बहस को जन्म दिया है. तमाम चर्चाओं के बीच उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के स्थानीय निवासियों और अभिभावकों ने लोकल 18 से इस मुद्दे पर अपनी राय साझा की. देहरादून की रिंकी सुधन ने कहा कि यह फैसला सराहनीय है. बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि खत्म हो गई थी क्योंकि उन्हें पता था कि वे हर हाल में पास हो जाएंगे. अब मेहनत करने की जरूरत होगी, जो उनके भविष्य के लिए बेहतर है.
देहरादून की शिक्षिका हेमा भट्ट ने इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया. उन्होंने कहा कि आठवीं कक्षा बच्चों के भविष्य की नींव होती है. नो डिटेंशन पॉलिसी के कारण बच्चों का सर्वांगीण विकास रुक गया था. इस फैसले से बच्चे अब पढ़ाई को गंभीरता से लेंगे.
अभिभावकों की प्रतिक्रिया
अभिभावक सुमन पांडे ने कहा कि बच्चे पढ़ाई के प्रति लापरवाह हो गए थे. उन्हें पता था कि वे फेल नहीं होंगे. ऐसे में अगर उनका आधार मजबूत नहीं होगा, तो भविष्य कैसे सुधरेगा. यह फैसला स्वागत योग्य है. स्थानीय निवासी संगीता आर्य ने कहा कि बच्चों में पढ़ाई का डर खत्म हो गया था. वे परीक्षा को गंभीरता से नहीं लेते थे. यह फैसला उन्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करेगा.
अब पढ़ाई के प्रति भी सजग रहेंगे बच्चे
नीतू सेमवाल ने कहा कि यह कदम सही है. बच्चों में परीक्षा का डर बना रहेगा, जिससे वे और मेहनत करेंगे. इससे उनका मानसिक और शैक्षिक विकास बेहतर होगा. अब उन्हें डर रहेगा कि अगर पढ़ाई ढंग से नहीं की, तो वे परीक्षा में फेल हो सकते हैं और उसी कक्षा में दोबारा बैठना पड़ सकता है.
क्या है नो डिटेंशन पॉलिसी?
नो डिटेंशन पॉलिसी की शुरुआत 2009 में हुई थी, जिसका उद्देश्य कक्षा 8 तक सभी छात्रों को बिना फेल किए प्रमोट करना था. हालांकि, 2019 में राइट टू एजुकेशन (RTE) एक्ट में संशोधन के जरिए इसे हटाने का प्रस्ताव रखा गया था. अब पांच साल बाद इसे पूरी तरह से लागू करने का फैसला लिया गया है.
क्या बदलेगी शिक्षा की तस्वीर?
नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने का यह फैसला निश्चित रूप से शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव ला सकता है. अभिभावक और शिक्षक मानते हैं कि इससे बच्चों में पढ़ाई के प्रति गंभीरता आएगी और उनका प्रदर्शन सुधरेगा. केंद्र सरकार का यह निर्णय केवल छात्रों को पढ़ाई में बेहतर करने के लिए प्रेरित नहीं करेगा बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता को भी सुधारने में सहायक होगा. देहरादून के अभिभावकों को उम्मीद है कि यह कदम बच्चों के सुनहरे भविष्य की ओर एक नई शुरुआत करेगा.
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FIRST PUBLISHED : December 24, 2024, 15:30 IST