इंजरी ने बदली बैडमिंटन खिलाड़ी कुहू गर्ग की जिंदगी...IAS दोस्त और इस खास स्ट्रेटजी से मिली UPSC में 178वीं रैंक


हिना आज़मी/ देहरादून. 16 अप्रैल को लोक सेवा आयोग ने यूपीएससी-2023 का फाइनल रिजल्ट जारी किया. देश की सबसे बड़ी परीक्षा में उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी की बेटी और इंटरनेशनल बैडमिंटन प्लेयर कुहू गर्ग का 178 वीं रैंक के साथ चयन हुआ. लोकल 18 से खास बातचीत में कुहू गर्ग ने बताया कि उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ बैडमिंटन और हॉर्स राइडिंग करना जैसी एक्टिविटी बेहद पसंद थी. उनके पिता और मां भी स्पोर्ट्स में रुचि रखते थे. 12 साल की उम्र से ही कुहू ने बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैडमिंटन खेलने वाली कुहू ने पिता अशोक कुमार के पदचिन्हों पर चलना शुरू किया और आज उन्हें मंजिल मिल गई हैं.

कुहू अपने पिता को ही अपनी प्रेरणा मानती हैं क्योंकि वह उन्हें बचपन से ही देख रही हैं कि किस तरह उनके पिता लोगों की सेवा में लगें हैं. कुहू गर्ग ने बताया कि उनके पापा काम के चलते काफी वक्त तक दूर परिवार से दूर रहते थे, इतना ही नहीं कि हमारी बर्थडे पार्टी में भी पापा कई बार आ नहीं पाते थे लेकिन बावजूद इसके उन्होंने अपनी ड्यूटी के साथ- साथ परिवार को कभी अपनी कमी महसूस नहीं होने दी. फोन कॉल और वीडियो कॉल के जरिए जरूरत पड़ने पर वह हमेशा हमारे साथ रहे. समाज के प्रति जिस तरह वह जिम्मेदारी निभाते आए हैं मैं भी उसी तरह ही काम करना चाहती हूं. कोविड काल के दौरान पिता ने समर्पित होकर जिस तरह काम किया यही भावना मैं अपने भीतर लाना चाहती हूं.

आईएएस नारायणी भाटिया से मिली प्रेरणा
कुहू बताती हैं कि पिता के तबादलों के चलते उन्हें कई स्कूल बदलने पड़े जिसके कारण उनके ज्यादा दोस्त नहीं बन पाते थे. मैने कक्षा 8 से 12 वीं तक दिल्ली के संस्कृति स्कूल से पढ़ाई की. इस दौरान मेरे कुछ दोस्त बने जो आज भी संपर्क में हैं. उनमें से एक नारायणी भाटिया है जिनका चयन यूपीएससी-2023 में 45 वीं रैंक के साथ हुआ था और वह आईएएस यूपी कैडर में है. नारायणी भाटिया की गाइडेंस को भी कुहू अपनी सफलता का श्रेय देती हैं.

इंजरी के बाद शुरू की यूपीएससी की तैयारी
कुहू का कहना है कि इंसान की जिंदगी में एक टर्निंग पॉइंट आता ही है जिससे उसकी जिंदगी बदल जाती है. बचपन से बैडमिंटन खेलने वाली कुहू को अचानक इंजरी हुई जिसके बाद उनकी सर्जरी की गई. आराम के लिए उन्हें सालभर से ज्यादा का वक्त मिला. इतने लंबे वक्त में कुहू ने उस समय का सदुपयोग किया और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. ऑनलाइन माध्यम से और किताबों के जरिए उन्होंने पढ़ाई की और आज वह एक सफल अभ्यर्थी के रूप में हजारों युवाओं की प्रेरणा बन रहीं हैं.

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