"माउंटेन मैन" मांझी से कम नहीं है पिथौरागढ़ की ये महिलाएं...27 दिन में बना दिया 3 KM की सड़क


हिमांशु जोशी/पिथौरागढ़. पहाड़ की महिलाओं का जीवन पहाड़ जैसा ही विशाल और काफी मेहनत भरा होता है. यहां की महिलाएं परिवार के साथ खेत, जंगल, पालतू जानवरों की जिम्मेदारी तो निभाती ही हैं, साथ ही अब अपने गांव का विकास भी खुद ही करने ही जिम्मेदारी भी निभा रहीं हैं. ऐसा ही कुछ हुआ है गंगोलीहाट के गंतोला गांव में. यहां की महिलाओं ने सरकार को आईना दिखाते हुए युवाओं के साथ मिलकर 27 दिन में 3 किमी सड़क खुद ही खोद डाली है.पहाड़ की इन महिलाओं का हौसला बिहार के “माउंटेन मैन” “दशरथ मांझी” से कम नहीं है.

घर के दैनिक काम करने के बाद गंतोला गांव की महिलाएं हाथ में बेलचा, कुदाल, फावड़ा, गेठी लेकर निकल पड़ती हैं अपने गांव तक सड़क खोदने के काम में, इन महिलाओं को काम की ऐसी धुन है की  थकान बिल्कुल भी महसूस नहीं होती. अब मात्र 1 किलोमीटर सड़क खोदनी बाकी है. 3 किलोमीटर सड़क खोदने में महिलाओं को 27 दिन का समय लगा.

अलग राज्य के बाद भी नहीं हुआ सुधार
राज्य बनने के बाद भी उत्तराखंड के कई गांवों में सड़क के लिए ग्रामीण संघर्ष ही कर रहे हैं. जिसे हुक्मरानों ने अभी तक नजरंदाज ही किया है. दरअसल गंगोलीहाट के मणकनाली से चार किमी सड़क के लिए लगातार मांग कर रहे गंतोला के ग्रामीणों को शासन-प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली. सरकारी अमले की अनदेखी से आहत गांव की महिलाओं और युवाओं ने ग्राम प्रधान भावना देवी के नेतृत्व में खुद ही सड़क बनाने का निर्णय लिया.

स्कूली बच्चे, बीमार और गर्भवती महिलाएं सभी परेशान
गंतोला के स्थानीय निवासी पुष्कर और अन्य महिलाओं का कहना है कि बीमार लोगों को डोली से मुख्य सड़क तक लाना पड़ता है. इसके बाद ही उन्हें इलाज मिल पाता है. गांव के बुजुर्ग कई महीनों तक अपनी पेंशन लेने नहीं जा पाते हैं. स्कूली बच्चे पैदल ही जंगलों का रास्ता पार कर स्कूल पहुंच रहे हैं. ऐसे में जब किसी ने उनकी परेशानी नहीं सुनी तो खुद ही सड़क गांव तक पहुंचाने का फैसला लिया.

पैदल चलने को मजबूर 300 ग्रामीण
गंतोला गांव में 54 परिवार रहते हैं. सरकार और प्रशासन की उदासीनता से 300 से अधिक आबादी वाले गांव के लोग आज भी पैदल चलने के लिए मजबूर हैं. धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो गांव के नजदीक शैलेश्वर गुफा और गुप्त गंगा है. सड़क के अभाव में यह स्थल पर्यटकों की नजरों से भी कोसों दूर है.

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