Uttarakhand News: देहरादून में RTO ने बनाया खास तरह का ट्रैफिक पार्क, जानें इसकी खासियत

देहरादून. उत्तराखंड परिवहन विभाग द्वारा देहरादून के आरटीओ दफ्तर में एक मिनी ट्रैफिक पार्क बनाया गया है, जिसमें लोगों को ट्रैफिक नियमों के बारे में जानकारी देने और जागरूक करने के जेब्रा क्रॉसिंग, ट्रैफिक सिग्नल्स, रेफलेक्टर, साइन बोर्ड और चेतावनी बोर्ड, रोड ट्रैक, येलो लाइन, यू टर्न सहित ट्रैफिक रूल्स से जुड़ी सभी जानकारी मिलेगी. इस पार्क में सांप सीढ़ी के माध्यम से यातायात नियमों को बखूबी समझाया गया है. देहरादून के आरटीओ सुनील शर्मा ने बताया कि दफ्तर में हमने एक मिनी ट्रैफिक पार्क बनाया है, जिसका मुख्य उद्देश्य ही है कि लोगों को जागरूक किया जाए. इसी के साथ ही जनता को आरटीओ दफ्तर में ही टू व्हीलर की ट्रेनिंग देने में यह पाक मददगार रहेगा, क्योंकि पहले इसके लिए लोगों को देहरादून के प्रेमनगर झाझरा में जाना पड़ता था, लेकिन आने वाले वक्त में कार्यालय परिसर में ही ऐसी सुविधा हो जाएगी.

उनका कहना है कि स्कूली बच्चों को भी यातायात नियमों की जानकारी देने के लिए यह पार्क बनाया गया है ताकि वह अपने अभिभावकों को यातायात नियमों की जानकारी दें और इसी के साथ ही बड़े होकर भी इन यातायात नियमों का पालन कर सकें. RTO परिसर में बनाए गए इस मिनी ट्रैफिक पार्क में सांप सीढ़ी के माध्यम से बताया गया है कि अगर सड़क पर यातायात नियमों को तोड़ा जाता है, तो उसी तरह अगर सांप सीढ़ी के खेल में गलत कदम उठाया जाता है तो सांप डस लेता है, उसी तरह यहां भी दिखाया गया है. उदाहरण के लिए, सांप के मुंह पर ड्रंक एन्ड ड्राइविंग लिखा गया है, मतलब अगर कोई व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी चलाता है तो उसे इसका हर्जाना भुगतना पड़ेगा.

वहीं इसके विपरीत अगर कोई व्यक्ति ट्रैफिक नियमों का पालन करता है, तो उसे सीढ़ी पर आगे जाता दिखाया गया है यानी वह आसानी से निकल जायेगा. इसके अलावा मिनी ट्रैफिक पार्क में दिखाया गया है कि अगर आप शहर में होते हैं, तो आपकी स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटा होनी चाहिए और अगर आप हाईवे पर चल रहे होते हैं, तो आपकी स्पीड 80 किलोमीटर प्रति घंटा होनी चाहिए.

मिली जानकारी के मुताबिक, अब तक ड्राइविंग लाइसेंस के लिए लर्निंग टेस्ट आरटीओ में ही होता था लेकिन परमानेंट लाइसेंस के लिए शहर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर प्रेमनगर के झाझरा में स्थित आईडीटीआर जाना पड़ता था, जिससे लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. इसलिए आरटीओ ने इसका प्रस्ताव तैयार कर परिवहन मुख्यालय में भेजा है, जिसके बाद आरटीओ कार्यालय परिसर में ही डीएल के लिए टेस्ट किया जा सकेगा.

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