उत्तराखंड के सभी स्कूलों में बनेगी 'अपार आईडी', छात्रों को मिलेगी यूनिक डिजिटल पहचान


Dehradun: वन नेशन वन आईडी की तर्ज़ पर राजधानी देहरादून समेत राज्य के सभी जिलों के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में ‘अपार आईडी’ बनाई जा रही है. यह छात्रों का डिजिटल आईडी कार्ड है. ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक रजिस्ट्री यानि APAAR ID का मकसद सभी छात्रों के लिए एक खास पहचान प्रणाली को विकसित करना है. यह पहल केंद्र के वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी कार्यक्रम का हिस्सा है. देहरादून समेत विकासनगर, चकराता, कालसी, त्यूणी में भी बच्चों की ये विशेष डिजिटल आईडी तैयार की जा रही है. देहरादून जनपद की बात की जाए तो अभी तक 14 प्रतिशत बच्चों का डेटा साइट पर अपलोड किया जा चुका है.

क्या है अपार आईडी?
‘अपार आईडी’ स्कूल और कॉलेजों के छात्रों की एक डिजिटल पहचान होगी. वन नेशन आईडी के तर्ज पर इसे बनाया जा रहा है. इस कार्ड में छात्र का पूरा शैक्षणिक रिकॉर्ड दर्ज होगा. जिसमें परीक्षा की मार्कशीट, कैरेक्टर सर्टिफिकेट,स्कूल ट्रांसफर समेत अन्य दस्तावेज की जानकारी उपलब्ध रहेगी. दूसरे शब्दों में कहें, तो आपके बच्चे का पूरा एकेडमिक रिकॉर्ड एक आईडी से लिंक हो जाएगा. जहां आपको सारे दस्तावेज़ मिल जाएंगे. वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी कार्यक्रम के तहत प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में इस अभियान को तेज किया जा रहा है. आधार कार्ड की तरह अपार आईडी में भी 12 अंको का कोड दिया जाएगा.

अपार आईडी से जुड़ी ज़रुरी बातें
1. आजीवन शैक्षणिक पहचान: प्रत्येक छात्र को एक 12 अंकीय पहचान मिलती है.
2. यह छात्रों के लिए एक स्थायी डिजिटल पहचान के रूप में काम करता है.
3. यह आईडी में ट्रांसफर सर्टिफिकेट, प्रवेश परीक्षा, भर्ती जैसे कामों के लिए सहायक है.
4. क्रेडिट ट्रांसफर: संस्थानों के बीच क्रेडिट के हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाता है.
5. आजीवन पहचान: छात्र के साथ उनके पूरे शैक्षिक और व्यावसायिक जीवन की जानकारी बनी रहती है.

इसके लिए अभिभावकों की अनुमति ज़रुरी
लोकल18 से बातचीत के दौरान शिक्षा विभाग की महानिदेशक झरना कमठान ने बताया कि ‘सभी स्कूलों में चाहे वो प्राइवेट हों या सरकारी, इनमें पढ़ने वाले सभी बच्चों की एक यूनिक आईडी बनाई जा रही है. यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत किया जा रहा है. इसके लिए बच्चों के आधार कार्ड और अभिभावकों की अनुमति जरुरी है. राज्य के सभी स्कूलों की बात करें तो अभी तकरीबन 25 प्रतिशत विद्यालयों में ये काम हो चुका है. हमारा लक्ष्य है कि इस साल सौ प्रतिशत इसे पूरा कर लिया जाए.’

बच्चे की योग्यता का आंकलन करने में सहायक
देहरादून की रहने वाली तृप्ति पंत बताती हैं कि उनके बेटे के स्कूल से ‘अपार आईडी’ को लेकर एक सूचना मिली. उस पीडीएफ में एक सहमति पत्र था. जिसे प्रत्येक छात्र के अभिभावकों को भरकर स्कूल में देना होगा. यह एक अच्छी पहल है. इसके जरिए छात्र का सभी रिकॉर्ड सेंट्रलाइज्ड हो जाएगा. इससे उस यूनिक आईडी पर सारी जानकारी एक क्लिक पर मिल जाएंगी. सबसे खास बात यह है कि इससे आप अपने बच्चे का साल-दर-साल दर्ज रिकॉर्ड के आधार पर योग्यता का आंकलन कर सकते हैं.

डेटा को अपलोड करना एक बड़ी चुनौती
देहरादून के अधिकतर स्कूलों ने इस पहल की सराहना की. हालांकि कई स्कूलों के प्रधानाचार्यों की मानें तो जिले के ज्यादातर बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं. ऐसे में हमारे सामने यह चुनौती है कि हम कितनी जल्दी इन्हें बना लेते हैं. इसके लिए हमें काफी तैयारियां करने की आवश्यकता है. सभी बच्चों का डेटा अपलोड करना अपने आप में बड़ा कार्य है.

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