हल्द्वानी. उत्तराखंड के हल्द्वानी में वर्तमान में कई अत्याधुनिक लाइब्रेरी खुली हुई हैं. शहर में शिक्षा विभाग की ओर से भी 36 साल पहले एक लाइब्रेरी खोली गई थी. रखरखाव के अभाव में इसकी हालत खस्ता हो गई है. यहां छात्रों के बैठने के लिए उचित फर्नीचर उपलब्ध नहीं हैं. यह लाइब्रेरी टाइम से तो खुल जाती है लेकिन न तो यहां छात्रों के लिए पर्याप्त फर्नीचर हैं और न पढ़ने के लिए उनकी मांग के अनुसार किताबें हैं. खस्ता हाल में तब्दील हो चुकी इस लाइब्रेरी में धीरे-धीरे छात्रों ने भी आना बंद कर दिया है.
हल्द्वानी में हीरानगर स्थित जीजीआईसी में शिक्षा विभाग की ओर से 1988 में एकमात्र पब्लिक लाइब्रेरी बनाई गई थी. शुरुआत में जब इस लाइब्रेरी का उद्घाटन किया गया, तो यहां काफी संख्या में छात्र पढ़ने आया करते थे और उनको इस सरकारी लाइब्रेरी का लाभ भी खूब मिलता था. ऐसे कई विद्यार्थी भी हैं, जो इस लाइब्रेरी से पढ़कर उच्च अधिकारी तक बने हैं लेकिन अब इस पुस्तकालय की हालत बदहाल हो चुकी है.
छत से टपकता है पानी
संचालिका किरन जोशी ने लोकल 18 को बताया कि पिछले 36 साल से पब्लिक लाइब्रेरी इसी कमरे में चल रही है.अब बिल्डिंग की हालत जर्जर हो चुकी है. हाल यह है कि बारिश में लाइब्रेरी के कमरे में पानी टपकता है. लाइब्रेरी में बैठने वाले स्टाफ को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लाइब्रेरी कक्ष में चारों ओर सीलन आ चुकी है. ऐसे में लाइब्रेरी में जितनी भी किताबें रखी गई हैं, सब खराब हो गई हैं. स्टाफ के साथ-साथ यहां आने वाले लोगों को भी काफी मुश्किल होती है.
कोरोना के बाद से लोगों ने बंद किया आना
किरन जोशी ने आगे कहा कि कोरोनाकाल से पहले लाइब्रेरी में कई लोग आया करते थे लेकिन कोविड के बाद से उन लोगों ने भी आना बंद कर दिया है. अभी उनसे 79 लोग जुड़े हुए हैं, जो लाइब्रेरी से किताबें लेने आते हैं. लाइब्रेरी में वर्तमान में लगभग सात हजार किताबें उपलब्ध हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 24, 2024, 15:03 IST