सोनिया मिश्रा चमोली/जोशीमठ: उत्तराखंड में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत वर्ष में प्रत्येक विभागों में ट्रांसफर की प्रक्रिया होती है. इसी प्रकार, शिक्षा विभाग में भी सुगम और दुर्गम का प्रावधान होता है, जिसे सभी अध्यापकों को मानना होता है. वे अपनी सेवाएं अपनी कर्मभूमि में ही देने का प्रयास करते हैं. हालांकि, कुछ अध्यापक अपनी मेहनत, प्यार और ईमानदारी के साथ सभी के दिलों में अपनी एक अलग छवि, पहचान और रिश्ते बना लेते हैं. इसके बाद, जब उनको किसी अन्य स्थान पर ट्रांसफर होने की सूचना मिलती है, तो उनसे जुड़े सभी व्यक्तियों की आंखें उनके जाने से भावुक हो जाती हैं. इन दिनों, एक ऐसी कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जहां एक शिक्षक के विदाई समारोह में पूरा गांव फूट-फूटकर रो रहा है.
सीमांत चमोली जिले के जोशीमठ ब्लॉक में स्थित राजकीय इंटर कॉलेज गणाई में कार्यरत अंग्रेजी शिक्षक रमेश चंद्र आर्य का ट्रांसफर अन्य विद्यालय में होने के बाद, ग्रामीणों ने उन्हें विदाई दी. रमेश चंद्र आर्य ने 18 साल तक पहाड़ के दुर्गम क्षेत्र में सेवा दी और उनका रिजल्ट हमेशा 100 फीसदी रहा. उन्होंने अंग्रेजी जैसे विषय को रुचिकर बनाया और बच्चों को समझाने में आसानी से मदद की. इसलिए, उनके ट्रांसफर से पूरे क्षेत्र के लोगों को भावुकता का एहसास हुआ. जिले के जानकार संजय चौहान बताते हैं कि रमेश चंद्र आर्य जैसे अध्यापकों की वजह से लोगों का सरकारी विद्यालयों में विश्वास और भरोसा बढ़ा है. उन्होंने दुर्गम क्षेत्रों में तैनाती को मिशन मोड में संपादित किया है और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करके इन क्षेत्रों की परिभाषा बदल दी है.
शिक्षक की विदाई समारोह में हर कोई भावुक था. न सिर्फ उनके ट्रांसफर से छात्र-छात्राओं की आंखे आंसू से तर बतर दिखी, बल्कि उनके साथ-साथ उनके परिवार के सभी सदस्य भी भावुक होते हुए दिखाई दिए.
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FIRST PUBLISHED : July 13, 2023, 11:08 IST