ऋषिकेश. उत्तराखंड के ऋषिकेश में भिक्षावृत्ति करने वाले बच्चों की भरमार है. गंगा घाटों से लेकर बाजारों तक में बच्चे भीख मांगते हुए दिख जाते हैं. हाल ही में विश्व साक्षरता दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित बैठक में देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल ने अधिकारियों से कहा था कि किसी भी बच्चे को भिक्षावृत्ति करते हुए नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने बच्चों को रेस्क्यू कर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने, उनके माता-पिता को जागरूक करने और स्कूल में दाखिला कराने के निर्देश दिए थे. इसके साथ ही भिक्षावृत्ति कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने और पेट्रोलिंग बढ़ाने की बात कही थी लेकिन डीएम के निर्देश के बाद भी ऋषिकेश में भिक्षावृत्ति की समस्या जस की तस ही बनी हुई है.
देहरादून के नवनियुक्त डीएम सविन बंसल ने इस बारे में कहा कि कमर्शियल बिल्डिंग, चौक, ट्रैफिक सिग्नल के पास में छोटे से बड़े तक लगभग हर वर्ग के बच्चे भीख मांगते नजर आते हैं जोकि सही नहीं है. सरकार द्वारा कई प्रयास किए गए हैं ताकि इन बच्चों को शिक्षा दी जा सके. कई योजनाएं भी लागू की गईं लेकिन कहीं न कहीं किसी कमी के चलते आज भी ये बच्चे शिक्षा नहीं भिक्षा मांग रहे हैं. ऋषिकेश के गंगा घाटों, पर्यटन स्थलों और भीड़भाड़ वाले इलाकों जैसे त्रिवेणी घाट, आईएसबीटी और नटराज चौक पर भिक्षावृत्ति करने वाले बच्चों की भरमार रहती है. ‘भिक्षावृत्ति मुक्त देहरादून’ के संबंध में देहरादून में आयोजित बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि जिले में किसी भी बच्चे को भिक्षावृत्ति करते हुए नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने बाल भिक्षावृत्ति और मजदूरी करने वाले बच्चों को रेस्क्यू कर समाज की मुख्यधारा में शामिल करने की बात की. साथ ही पेट्रोलिंग बढ़ाकर इस समस्या को नियंत्रित करने के निर्देश भी दिए हैं.
ऋषिकेश में भिक्षा मांग रहे बच्चों की भरमार
जिलाधिकारी के निर्देशों के बाद भी ऋषिकेश में भिक्षावृत्ति की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है. ऋषिकेश के गंगा घाटों और पर्यटन स्थलों पर भिक्षावृत्ति करने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है, विशेषकर त्रिवेणी घाट, आईएसबीटी और नटराज चौक जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में इन बच्चों से भीख मंगवाई जाती है और कई बार उनके माता-पिता और रिश्तेदार भी इसमें शामिल होते हैं. बच्चों की भाषा यूपी और राजस्थान की होती है और वे केवल रुपये मांगते हैं न कि खाना. घाटों पर ये बच्चे श्रद्धालुओं को घेर लेते हैं और कुछ न कुछ रुपये लेकर ही हटते हैं. खानाबदोश परिवारों के सदस्य घाटों पर फूल, मालाएं और पूजा सामग्री बेचते हैं, जबकि बच्चे भीख मांगते हैं. यह भिक्षावृत्ति का बड़ा नेटवर्क है, जिसमें महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल हैं. महिलाएं बच्चों को गोद में लेकर भीख मांगती हैं और बुजुर्ग व्हीलचेयर पर बच्चों को बैठाकर भीख मांगते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 13, 2024, 16:09 IST