श्रीनगर गढ़वाल. वैसे तो मलिन बस्तियों में पैदा होने वाले बच्चे बचपन से ही या तो कूड़ा बीनने का काम करते हैं या फिर भीख मांगने लग जाते हैं क्योंकि उनका जीवन अभावों में गुजरता है. शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्थाएं तो दूर की बात हैं, उन्हें दो वक्त की रोटी तक नसीब नहीं होती. वे वही काम करते हैं, जो उनके माता-पिता करते आए हैं, लेकिन उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्थित श्रीनगर की मलिन बस्ती में रहने वाला आकाश (13) सुविधाओं के अभाव में भी मलिन बस्ती के बच्चों के लिए प्रेरणा बन रहा है. आकाश 400 मीटर राज्य स्तरीय अंडर-14 एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (AFI) दौड़ प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहा है.
आकाश राजकीय प्राथमिक विद्यालय गहड़ में चौथी कक्षा का छात्र है और श्रीनगर की मलिन बस्ती में रहता है. उसके परिजन कबाड़ बीनने का काम करते हैं. खाली समय में आकाश भी अपने परिजनों के साथ कूड़ा बीनने जाता है, लेकिन वह खेलों में रुचि रखता है. इससे पहले आकाश ने ब्लॉक और जिला स्तरीय दौड़ प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त किया है.
कबड्डी और खो-खो में भी रुचि
आकाश ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि उसे खेलों में काफी रुचि है और वह 50 मीटर, 200 मीटर और 400 मीटर दौड़ में भाग ले चुका है. इसके अलावा वह कबड्डी और खो-खो जैसे खेलों में भी भाग लेता है. आकाश ने बताया कि मलिन बस्ती के अधिकांश बच्चे न तो स्कूल जाते हैं और न ही खेलों में रुचि लेते हैं लेकिन वह स्कूल जाता है और खेल प्रतियोगिताओं में भी भाग लेता है. वह सुबह स्कूल जाता है और फिर खेलने के बाद समय मिलने पर अपने घर वालों के साथ कबाड़ बीनने जाता है. उसके माता-पिता उसे खेल के लिए सपोर्ट करते हैं.
400 मीटर दौड़ की तैयारी पूरी
आकाश के कोच विकास शाह ने लोकल 18 से कहा कि उन्होंने आकाश को जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता के दौरान देखा. उन्हें आकाश में एक अलग ही जुनून नजर आया. उस समय आकाश 50 और 100 मीटर दौड़ में भाग ले रहा था. आकाश में कुछ कर गुजरने के जुनून की वजह से ही उन्होंने उसे 400 मीटर दौड़ के लिए तैयार करना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि अब वह आकाश को राज्य स्तरीय एएफआई खेलकूद प्रतियोगिताओं के लिए तैयार कर रहे हैं. एएफआई राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता दो महीने में शुरू होने वाली है. वह आकाश को आगे बढ़ाने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं. हालांकि संसाधनों की कमी होने के बावजूद वह अपनी मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 24, 2024, 16:31 IST